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बैठे-बिठाए हाल-ए-दिल-ज़ार खुल गया
मैं आज उसके सामने बैठकर बेकार खुल गया। -मुनव्वर राणा
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जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मिल नहीं है, वो दिल नहीं है, दिल नहीं है, दिल नहीं है।
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तेरे ख्याल से खुद को छुपा के देखा है,
दिल-ओ-नजर को रुला-रुला के देखा है,
तू नहीं तो कुछ भी नहीं है तेरी कसम,
मैंने कुछ पल तुझे भुला के देखा है।
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हम आपकी हर चीज़ से प्यार कर लेंगे,
आपकी हर बात पर ऐतबार कर लेंगे,
बस एक बार कह दो कि तुम सिर्फ मेरे हो,
हम ज़िन्दगी भर आपका इंतज़ार कर लेंगे?
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जिनका मिलना मुकद्दर में लिखा नहीं होता,
उनसे मोहब्बत कसम से बा-कमाल होती है?
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दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो,
ये ओर बात है कि किस्मत दगा कर गयी।
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हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है,
कभी सुबह कभी शाम याद आता है,
जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत,
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है?
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हमें शायर समझ के यूँ नजर अंदाज मत करिये,
नजर हम फेर ले तो हुस्न का बाजार गिर जायेगा?
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इससे ज़्यादा तुझे और कितना करीब लाऊँ मैं,
कि तुझे दिल में रख कर भी मेरा दिल नहीं भरता?
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हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब बन कर मिला करो,
भटके मुसाफिर को चांदनी रात बनकर मिला करो?
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भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आया हूँ,
कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते?
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तलब करें तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें दे दूँ,
मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब माँगते हैं?
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ये ज़िन्दगी हसीं है इस से प्यार करो,
अभी है रात तो सुबह का इंतज़ार करो,
वो पल भी आएगा जिसकी ख्वाहिश है आपको,
रब पर रखो भरोसा वक़्त पर एतबार करो।
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इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए,
तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है?
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बहुत दर्द हैं ऐ जान-ए-अदा तेरी मोहब्बत में,
कैसे कह दूँ कि तुझे वफ़ा निभानी नहीं आती?
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तेरा प्यार पाने के लिए
मैंने कितना इंतज़ार किया,
और उस इंतज़ार में न जाने
कितनों से प्यार किया?
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अभी आए, अभी बैठे, अभी दामन संभाला है,
तुम्हारी जाऊं जाऊं ने हमारा दम निकाला है
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दिल की कीमत तो मोहब्बत के सिवा कुछ न थी,
जितने भी मिले, सूरत के खरीदार मिले